लालू और पीलू

एक मुर्गी थी | मुर्गी के दो चूज़े थे |

एक का नाम लालू था | दूसरे का नाम पीलू था |

लालू लाल चीजें खाता था |

पीलू पीली चीजें खाता था |

एक दिन लालू ने एक पौधे पर कुछ  लाल - लाल देखा |

लालू ने उसे खा लिया |

अरे , यह तो लाल मिर्च थी !

लालू की जीभ जलने लगी | वह रोने लगा |

मुर्गी दौड़ी हुई आई | पीलू भी भागा | वह पीले गुड़ का टुकड़ा लेकर आया |

लालू ने झट गुड़ खाया | उसके मुँह की जलन ठीक हो गई |

मुर्गी ने लालू और पीलू को लिपटा लिया |

 

                                                              मनोरमा ज़फा

·         कहानी को पहली – दूसरी कक्षा के बच्चों के साथ इस्तेमाल करें |

·         कहानी को बोर्ड / चार्ट पर लिखकर कक्षा में लगा दें | इससे जुड़ा कोई चित्र बना दें तो और अच्छा रहेगा |

·         कहानी बच्चों को पढ़कर सुना दें |

·         कहानी के शब्दों पर उँगली रखते हुए बच्चों से पढ़वाएं |

·         बच्चों से कुछ शब्द पूछें / शब्दों की पहचान करवाएं |

·         कहानी पर बच्चों से बात करें | उसके लिए निम्न प्रश्न हो सकते हैं –

मुर्गी के कितने चूजे थे ?

उन चूजों के क्या – क्या नाम थे ?

कहानी में बताया गया है कि लालू लाल चीजें खाता था ? लाल चीजों में वह क्या – क्या खाता होगा ?

पीलू पीली चीजें खाता था ? वह क्या – क्या चीजें खाता होगा ?

तुम्हारे आसपास क्या – क्या लाल चीजें होती हैं ? उनके नाम बताओ |

तुम्हारे आसपास क्या – क्या पीली चीजें होती हैं ? उनके नाम बताओ |

पीलू गुड़ क्यों ले आया ?

पीलू लालू को जलन ठीक करने के लिए और क्या दे सकता था ?

कहानी के अंत में क्या हुआ ?

तुमको कभी कहीं पर खाने में मिर्च लगी है ?

जब खाने में मिर्च लग जाती है तो क्या – क्या कर सकते हैं ?

तुम लोगों में किस - किसके वहां मुर्गियां पली हुई हैं ?

उनके चूजे किस – किस रंग के होते हैं ?

चूजे क्या – क्या खाते हैं ?

चूजे दिन भर क्या – क्या करते हैं ?

·         कहानी के आधार पर बच्चों से अपने मन से चित्र भी बनवाएं |

·         बच्चों से ‘ला’ , ‘पी’ वर्ण और ‘ऊ’ , ‘ई’ की मात्रा के शब्दों की पहचान करवाएं |

·         अभ्यास करवाएं

लाल – लाला - लालू , पीला – पीली – पीलू

·         बच्चों को मात्रा की पहचान कराते हुए नए शब्द बनवाएं जैसे – लालू , कालू ,  ..... पीलू , सीलू ,  ..... लाल , बाल , जाल .... पीली , नीली , ...... ऐसे ही और शब्द बनवाएं | इन शब्दों की मात्राओं पर  बात भी करें |

·         कहानी बच्चों से दोहरवाएं और उन्हें भी पढ़ने का मौका दें |

·         यह कहानी रीडिंग कार्नर में किताब के रूप में भी उपलब्ध है वहां से भी बच्चों को पढ़ने का मौका दिया जा सकता है |

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